Friday, December 23, 2016

अध्यात्मिक परिपथ के तहत धार्मिक केंद्रों के सुंदरीकरण के लिए मिले पांच करोड़ रुपये

पर्यटन मंत्रालय के अध्यात्मिक परिपथ के तहत विधानसभा सिकंदरपुर के तीन धार्मिक केंद्रों के सुंदरीकरण के लिए कुल करीब 3 करोड़ 59 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं। स्वदेश योजना के तहत स्वीकृत इस धन से स्थानीय चतुर्भुज नाथ मंदिर, एकईल के दुर्गा मंदिर व श्री वनखंडी नाथ मठ डूहा का कायाकल्प होगा। सलेमपुर के भाजपा सांसद र¨वद्र कुशवाहा के पहल पर पर्यटन मंत्रालय के एक दल ने अक्टूबर में इन तीनों केंद्रों का भ्रमण कर कायाकल्प के बारे में ब्यौरा लिया था। सांसद ने बताया कि तीनों स्थलों पर स्वीकृत कार्यों के लिए एनसीपीसी को कार्यदाई संस्था नामित किया गया है। स्वीकृत धन से तीनों आस्था स्थल पूरी तरह विकसित किए जाएंगे। इस दौरान पूर्व विधायक भगवान पाठक अच्छेलाल यादव अर¨वद कुमार राय लाल वचन तिवारी आदि मौजूद थे।
सहतवार में भी मिले करीब सवा करोड़

   रेवती : सांसद सलेमपुर र¨वद्र कुशवाह के प्रतिनिधि विजय प्रताप ¨सह ने गायघाट में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि सांसद के प्रयास से पचरूखा देवी मंदिर गायघाट व चैन राम बाबा समाधि स्थल सहतवार को पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए क्रमश: 95,27,600 रुपये व 29,02000 रुपये स्वीकृत किया गया है।

Monday, December 19, 2016

सब्जी विक्रेता ने लगवाई स्वाइप मशीन

भारतीय स्टेट बैंक क्षेत्रीय कार्यालय के तत्वावधान में डिजिटल इंडिया के तहत स्वाइप मशीन लगाने को कैंप लगाया गया। इसमें आनंदनगर स्थित सब्जी विक्रेता सविता सब्जी स्टोर पर स्वाइप मशीन का क्षेत्रीय प्रबंधक एस पाल ने उद्घाटन किया। एसपाल ने कहा कि आज बड़े महानगरों में हर छोटी से बड़ी दुकानों पर लोग स्वाइप मशीन लगा रहे हैं। इसके लगने के बाद आसपास के लोग एटीएम से सब्जी खरीदने के साथ ही दो हजार रुपये की नकदी भी निकाल सकते हैं।

   इसके अलावा सिटी ब्रांच, मुख्य शाखा मिड्ढी और चौक शाखा पर कैंप का आयोजन किया गया। इसमें करीब तीन सौ व्यापारी, दुकानदार फल विक्रेता आदि ने मशीन लगाने का आवेदन जमा किया।

Friday, November 4, 2016

आस्था के महापर्व डाला छठ की प्रासंगिकता

पुराण में छठ पूजा के पीछे की कहानी राजा प्रियंवद को लेकर है। कहा जाता है कि राजा प्रियवंद को कोई संतान नहीं थी तब महर्षि कश्यप ने संतान की प्राप्ति के लिए यज्ञ कराकर प्रियंवद की पत्नी मालिनी को आहुति के लिए बनाई गई खीर दी जिससे उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। पुत्र मरा हुआ पैदा होने से दुखी प्रियंवद मृत पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में अपनी जान देने लगे। उसी समय भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं और उन्होंने राजा से कहा कि क्योंकि वह सृष्टि की मूल प्रवृति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हैं इसी कारण वह षष्ठी कहलाती हैं। षष्ठी ने राजा प्रियंवद से पूजा करने की बात की। व्रत के बाद राजा का पुत्र जीवित हो गया। षष्ठी के प्रेरणा से राजा का पुत्र जीवित हुआ था तभी से कार्तिक शुक्ल षष्ठी को यह पूजा होती है। जसे अब छठ पूजा के नाम से जाना जाता है। 

12 वर्ष बाद है ऐसा संयोग : ओमप्रकाश चौबे: लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा पर इस वर्ष कार्तिक शुक्ल षष्ठी को बारह वर्ष के बाद ऐसा खास संयोग भी बन रहा है । जयप्रकाशनगर के दलजीत टोला निवासी आचार्य ओमप्रकाश चौबे के अनुसार पहला अ‌र्घ्य रविवार को होने और चंद्रमा के गोचर में रहने से सूर्य आनंद योग का संयोग बन रहा है। यह खास संयोग लगभग 12 वर्षों के बाद बना है। 

बरसेगी महालक्ष्मी की भी कृपा: इस बार के छठ महापर्व पर चंद्रमा और मंगल के एक साथ मकर राशि में रहने से महालक्ष्मी की भी कृपा व्रतियों पर बरसेगी। वहीं चंद्रमा से केंद्र में रहकर मंगल के उच्च होने या स्वराशि में होने से पंच महापुरुष योग में एक रुचक योग भी षष्ठी-सप्तमी को बनेगा। 

छठ महापर्व का चार दिवसीय कार्यक्रम:

-नहाय-खाए : 4 नवंबर (शुक्रवार)
-खरना-लोहड़ : 5 नवंबर (शनिवार)
-सायंकालीन अ‌र्घ्य-6 नवंबर (रविवार)
-प्रात:कालीन अ‌र्घ्य : 7 नवंबर (सोमवार)
-सायंकालीन अ‌र्घ्य का समय :- शाम 5.10 बजे
-प्रात:कालीन अ‌र्घ्य का समय : प्रात: 6.13 बजे 

कैसे करें छठ पर सूर्य उपासनाडाला छठ चार दिनी आयोजन है। इस व्रत में व्रती महिलाओं को इस व्रत का चार चरण पूरा करना होता है। खाय-नहाय से प्रारंभ यह व्रत उदीयमान सूर्य के अ‌र्घ्य से पूर्ण होता है। छठ व्रत का चरणवार विवरण निम्न है।

खाए नहाय : छठ पूजा व्रत चार दिन तक किया जाता है। इसके पहले दिन नहाने खाने की विधि होती है। जिसमें व्यक्ति को घर की सफाई कर स्वयं शुद्ध होना चाहिए तथा केवल शुद्ध शाकाहारी भोजन ही करना चाहिए।
खरना : इसके दूसरे दिन खरना की विधि की जाती है। खरना में व्यक्ति को पूरे दिन का उपवास रखकर, शाम के समय गन्ने का रस या गुड़ में बने हुए चावल की खीर को प्रसाद के रूप में खाना चाहिए। इस दिन बनी गुड़ की खीर बेहद पौष्टिक और स्वादिष्ठ होती है।

शाम का अ‌र्घ्य : तीसरे दिन सूर्य षष्ठी को पूरे दिन उपवास रखकर शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य देने के लिए पूजा की सामग्रियों को लकड़ी के डाले में रखकर घाट पर ले जाना चाहिए। शाम को सूर्य को अ‌र्घ्य देने के बाद घर आकर सारा सामान वैसी ही रखना चाहिए। इस दिन रात के समय छठी माता के गीत गाने चाहिए और व्रत कथा सुननी चाहिए।

सुबह का अ‌र्घ्य : चौथे दिन सुबह-सुबह सूर्य निकलने से पहले ही घाट पर पहुंचना चाहिए। उगते हुए सूर्य की पहली किरण को अ‌र्घ्य निवेदित कर छठ माता को प्रणाम कर बाद घाट पर छठ माता को प्रणाम कर उनसे संतान-रक्षा का वर मांगना चाहिए। अ‌र्घ्य देने के बाद घर लौटकर सभी में प्रसाद वितरण करना चाहिए तथा स्वयं भी प्रसाद खाकर व्रत खोलना चाहिए।

छठ पर्व की मान्यता:

मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु इस महाव्रत को निष्ठा भाव से विधिपूर्वक संपन्न करता है वह संतान सुख से कभी अछूता नहीं रहता है । इस महाव्रत के फलस्वरूप व्यक्ति को न केवल संतान की प्राप्ति होती है बल्कि उसके सारे कष्ट भी समाप्त हो जाते हैं ।
  

Tuesday, August 23, 2016

!! हाई अलर्ट पर बलिया !!

पूर्वांचल के जिलों में तबाही मचा रही गंगा नदी बलिया में 13 साल पुराने जलस्तर पर पहुंच गई है। रविवार सुबह गंगा नदी का जलस्तर 60.28 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान 57.61 मीटर से 2.66 मीटर अधिक है। इससे पहले बलिया में गंगा नदी 2003 में 60.25 मीटर तक पहुंची थी। बाढ़ के रौद्र रूप को देखते हुए पूरे जिले में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है।एनएच-31 के बलिया-बैरिया मार्ग पर कई जगहों पर बाढ़ का पानी आने से खतरे को देखते हुए इंजीनियरों के साथ डीएम गोविंद राजू डटे हैं। बैरिया से छपरा तक सड़क मार्ग पर आवागन ठप है। दुबहर से दूबे छपरा रिंग बांध तक के गांवों में तबाही मची है। दूबे छपरा बांध को बचाने की कोशिश जारी है। चौबेछपरा और श्रीनगर गांव का अस्तित्व खत्म होने की ओर है। शहर से सटे महाबीर घाट के निचले इलाकों के लोगों को पलायन करना पड़ा है। चांद दियर इलाके में भी बाढ़ से हड़कंप मचा है। कोट 350 से अधिक नावें और 15 मेडिकल टीमें प्रभावित क्षेत्रों में लगाईं गईं हैं। बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं से अपील है कि आगे आकर वो लोगों की मदद करें।  

गोविंद राजू, डीएम, बलिया, बनारस में गंगा और वरुणा का रौद्र रूप : वाराणसी शहर के साथ तटवर्ती इलाकों में पानी भरने से दो लाख की आबादी चपेट में है। सड़कों-गलियों में नावें चल रही हैं। लोग अपने घरों की छतों पर टेंट लगाकर रह रहे हैं। एनडीआरएफ की टीमें लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाकों से निकलकर राहत शिविरों में पहुंचा रही हैं। 

मीरजापुर-गाजीपुर में बिगड़े हालात : मीरजापुर और गाजीपुर में भी गंगा के लगातार बढ़ने से दहशत है। मीरजापुर के छानबे, कोन, मझवां, सीखड़, नरायनपुर और पहाड़ ब्लॉक के 400 गांव पूरी तरह बाढ़ की चपेट में हैं। अकोढ़ी और विंध्याचल के सगरा गांव के पास मीरजापुर-इलाहाबाद मार्ग पर बाढ़ की आशंका को देखते हुए प्रशासन सतर्क है। डीएम राजेश कुमार सिंह ने गंगा जलस्तर पर नजर रखने और राहत शिविरों में लंच पैकेट व पशुओं के लिए चारा आदि की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। 

इलाहाबाद में गंभीर होती जा रही स्थिति : इलाहाबाद में बाढ़ की स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है। यमुना में तीन सेंटीमीटर जबकि गंगा में अब भी ढाई सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जलस्तर बढ़ रहा है। माताटीला बांध से लगभग चार लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से यमुना में लगातार जलस्तर बढ़ रहा है। हालात यह हैं कि दोनों नदियों का जलस्तर 2013 के स्तर के काफी करीब 85.70 मीटर तक पहुंच गया है। 1978 के बाद 2013 में ही इलाहाबाद में बाढ़ ने तबाही मचाई थी, जब बख्शी बांध में भी दरार आ गयी थी। गंगा, यमुना और टोंस की बाढ़ से पूरा जिला प्रभावित है और अब तक 155 गांव और दो दर्जन मोहल्ले इसकी चपेट में आ चुके हैं। 

फतेहपुर में भी खतरा बरकरार : फतेहपुर जिले में भी गंगा और यमुना की बाढ़ से किनारे के गांवों को खतरा है। दोनों नदियों के बीच बसे जिले के तीन दर्जन गांव पानी से घिर गए हैं और उनका मुख्य मार्ग से संपर्क टूट गया है। यमुना किनारे के कोर्रा कनक,ललौली, दसौली,पल्कू डेरा, ओनई,धोबिया, लिलरा, देवलान, लामेहता गांवों की आबादी पानी से घिर गई है। लगातार बढ़ते हुए जलस्तर को देखते हुए प्रशासन के अधिकारी और रेस्क्यू टीमें तैनात कर दी गईं हैं।